SHAYRI OF THE DAY 25TH MAY

कितना दुश्वार है जज़्बों की तिजारत करना !
एक ही शख़्स से दो बार मोहब्बत करना !! 
जिसको  तुम चाहो कोई और न चाहे उसको ! 
इसको कहते हैं मोहब्बत में सियासत करना !!
सुरमई आँख हसीं जिस्म गुलाबी चेहरा 
इसको कहते हैं क़िताबत पे क़िताबत करना !! 
दिल की तख़्ती पे लिखी रहती है आयात सी कुछ !
वक़्त मिल जाए तो उनकी भी तिलावत करना !! 
संकलन:
प्रदीप श्रीवास्तव,
ग़ज़ल गायक 

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