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Showing posts from October, 2017

तुलसीदास जी ने बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया

××पढ़ें तुलसीदास जी ने भी बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया है×× आम तौर पर हिंदुस्तान में ऐसे परिस्थितियां कई बार उत्पन्न हुई जब राम -मंदिर और बाबरी मस्जिद (ढांचा ) एक विचार-विमर्श का मुद्दा बना और कई विद्वानों ने चाहे वो इस पक्ष के हो या उस पक्ष के अपने विचार रखे . कई बार तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर भी सवाल खड़े किये गए की अगर बाबर ने राम -मंदिर का विध्वंश किया तो तुलसीदास जी ने इस घटना का जिक्र क्यों नही किया . सच ये है कि कई लोग तुलसीदास जी की रचनाओं से अनभिज्ञ है और अज्ञानतावश ऐसी बातें करते हैं . वस्तुतः रामचरित्रमानस के अलावा तुलसीदास जी ने कई अन्य ग्रंथो की भी रचना की है . तुलसीदास जी ने तुलसी शतक में इस घंटना का विस्तार से विवरण दिया है . हमारे वामपंथी विचारको तथा इतिहासकारो ने ये भ्रम की स्थति उतपन्न की,कि रामचरितमानस में ऐसी कोई घटना का वर्णन नही है . श्री नित्यानंद मिश्रा ने जिज्ञाशु के एक पत्र व्यवहार में "तुलसी दोहा शतक " का अर्थ इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया है | हमनें भी उन दोहों के अर्थो को आप तक पहुँचाने का प्रयास किया है | प्रत्येक दोहे का अर्थ उनके नीचे

Tips on Heart Attack

*हृदयाघात तथा गर्म पानी पीना* यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं हृदयाघात के बारे में भी एक अच्छा लेख है। चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं, ठंडा पानी नहीं। अब हमें भी उनकी यह आदत अपना लेनी चाहिए। जो लोग भोजन के बाद ठंडा पानी पीना पसन्द करते हैं यह लेख उनके लिए ही है।  भोजन के साथ कोई ठंडा पेय या पानी पीना बहुत हानिकारक है क्योंकि ठंडा पानी आपके भोजन के तैलीय पदार्थों को जो आपने अभी अभी खाये हैं ठोस रूप में बदल देता है। इससे पाचन बहुत धीमा हो जाता है। जब यह अम्ल के साथ क्रिया करता है तो यह टूट जाता है और जल्दी ही यह ठोस भोजन से भी अधिक तेज़ी से आँतों द्वारा सोख लिया जाता है। यह आँतों में एकत्र हो जाता है। फिर जल्दी ही यह चरबी में बदल जाता है और कैंसर के पैदा होने का कारण बनता है।  इसलिए सबसे अच्छा यह है कि भोजन के बाद गर्म सूप या गुनगुना पानी पिया जाये। एक गिलास गुनगुना पानी सोने से ठीक पहले भी पीना चाहिए। इससे खून के थक्के नहीं बनेंगे और आप हृदयाघात से बचे रहेंगे। 

Jokes

सर्दी आ रही है ।। लड़किया जहाँ दुखी हैं ।। कि अब स्वैटर पहन के फैशनेबल नही लगेंगी वही लड़के खुश है , अब जैकेट मेे बोतल तो आराम से लायेंगे ।।

Kya Aap jaante hain

आपने कि‍सी ऐसे रेलवे स्‍टेशन के बारे में सुना है क‍ि जि‍समें ट्रेन का इंजन एक राज्‍य में तो ट्रेन के गार्ड का ड‍िब्‍बा दूसरे राज्‍य में खड़ा होता है। हो सकता आपको यह पढ़कर अटपटा लगता हो। सोच रहे हों क‍ि भला ऐसे कैसे हो सकता है ××लेक‍िन यह सच है×× आइए जानें इस अनोखे रेलवे स्‍टेशन के बारे में... दो राज्‍यों के बॉर्डर पर इस अनोखे रेलवे स्‍टेशन का नाम भवानी मंडी रेलवे स्टेशन है। यह अकेला रेलवे स्‍टेशन राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्‍यों के अंतर्गत आता है। यहां रेलवे स्टेशन के एक छोर पर राजस्थान का बोर्ड लगा है और दूसरे छोर पर मध्य प्रदेश राज्‍य का बोर्ड लगा है। भवानी मंडी रेलवे स्टेशन से 350 से अध‍िक स्टेशन सीधे जुड़े हुए हैं। इतना ही नही यहां हर द‍िन करीब 8 से 10 हजार यात्रि‍यों का आगमन होता है। इस रेलवे स्‍टेशन की खास बात तो यहां का बुकिंग काउंटर मध्य प्रदेश के मंदसौर ज‍िले में है तो स्टेशन में एंट्री का रास्ता और वेटिंग रूम, राजस्थान के झालावाड़ ज‍िले में है। इतना ही नहीं सबसे मजेदार बात तो यह है कि‍ यहां पर ट‍िकट बांटने वाला व्यक्ति मध्‍यप्रदेश में बैठता है और ट‍िकट

Shayri

जो सच्चा है वही बदनाम क्यों है ! मुहब्बत का यही अन्जाम क्यों है !! तुम्हारा मैं अगर कुछ भी नहीं हूँ ! तुम्हारे लब प मेरा नाम क्यों है !! -नाज़" प्रतापगढ़ी

क्रिकेट विजय

+भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई+ भारतीय क्रिकेट टीम ने न्यूजीलैंड से पूणे में दूसरा वनडे खेलते हुएवमुम्बई की हार का ठीक उसी प्रकार से 6 विकेट से बदला ले लिया |    आज की जीत का सारा श्रेय तो भारतीय गेंदबाजों को जाता है और यदि बल्लेबाज की बात करें तो दिनेश कार्तिक को जाता है| भारतीय टीम को बहुत बहुत बधाई

सुप्रभात

सुप्रभात, बात इतनी मधुर रखिये कि कभी वापस लेनी पड़े, तो खुद को कड़वी न लगे। प्रदीप श्रीवास्तव, ग़ज़ल गायक

शायरी

कोइ मुझसे पूछे तो मै कहूँ कि वो दिल को मेरे भला लगे ! मेरे साथ रहता है हर घडी के वो एक पल न जुदा लगे !! मेरे साथ है मेरे पास है मेरे दिल में मुझको बसा लगे ! कोई मुझसे पूछे तो मै कहूँ कि वो मुझको मेरा खुदा लगे !! ~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम “कलंदर मौजशाही”  

3RD RASHTRIYA KAVI SAMMELAN-INAUGURATION

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हुज़ूर साहेब की याद में स्थापित साहेब स्मृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए |     आरज़ू है यही मेरे दिल की इस तरह उनको दिल में बसाये ! कि चमन ज़िंदगी का हरा हो फूल बनकर कली मुस्कराये !! ऎसी नज़रें करम है कि बंदा माजराए  करम क्या सुनाये ! यानी मेरे ख़ुदा वो ख़ुदा है जान जिसपर निछावर हो जाये !! हुस्न ख़ुद अपनी सूरत में आकर चार जानिब तजल्ली दिखाये ! देख ले जो नज़र भर के उसको याद जो कुछ हो सब भूल जाये !! कि यही जब भी कुछ इल्तिजा की साक़ी से बस यही हमने माँगा ! ज़िंदगी मैकदे ही में गुज़रे उम्र सारी  यहीं बीत जाये !!  काफ़िला दिल का था जिसके आगे जाल दुनिया ने कितने बिछाये ! हम मगर धुन में अपनी जो निकले तो क़दम फिर कहीं रुक न पाये !!  ~ HUZUR SAHEB 

GHAZAL - तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद !

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तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद ! फूल इस शहर में खिलते है मगर, शाम की बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए |   उससे दरियाफ़्त न करना कभी दिन के हालात !! सुबह का भूला जो लौट आया हो घर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर      दिन तेरे हिज्र में कट जाता है जैसे तैसे ! मुझसे रहती है ख़फ़ा मेरी नज़र, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   क़द से बढ़ जाए जो साया, तो बुरा लगता है ! अपना सूरज वो उठा लेता है हर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   तुम ना कर पाओगे, अंदाज़ा तबाही का मेरी ! तुमने देखा ही नहीं कोई खंडर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   मेरे बारे में कोई कुछ भी कहे सब मंज़ूर ! मुझको रहती ही नहीं अपनी ख़बर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   ये ही मिलने का समय भी है, बिछड़ने का भी ! मुझको लगता है बहुत अपने से डर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर 

Amritvachan

गलत लोग सभी के जीवन में आते हैं लेकिन सीख हमेशा सही देकर जाते है !

शायर अतीक फतेहपुरी

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कार्यक्रम के शुरुआत में हुजुर साहेब के पसंदीदा नौजवान शायर जनाब अतीक फतेहपुरी ने हुजुर साहेब को ज़हन में रखते हुए इस ग़ज़ल से शुरुआत की और मौजूद सामाइन से भरपूर दाद पाई |     हुस्न बेनक़ाब हो गया, ईश्क़ क़ामयाब हो गया ! रूह को सुकून मिल गया, काम लाजवाब हो गया !! ठोकरों पे था हर एक तीर, जिंदगी की रहगुज़ार पर ! जब तेरी निगाह पढ़ गई, ज़र्रा आफताब हो गया !! रौशनी से दूर था ये दिल, चांदनी से दूर था ये दिल ! नक़्शे पा-ए-यार मिल गया, सजदा कामयाब हो गया !! खत्म होंगी कब तलक मियाद, ये अदा बताइए ज़रा ! मेरे दिल में अब तो आपका, ज़ुल्म बेहिसाब हो गया !! मैकशी का दौर था उधर, तश्नगी का जोर था ईधर ! उनके दर पे जा के ए अतीक, मैं भी फैज़े यार हो गया !! ~ अतीक़  फतेहपुरी   

उस रोज दीवाली होती है

"उस रोज़ दीवाली होती है" जब मन में हो मौज बहारों की चमकाएँ चमक सितारों की, जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों तन्हाई  में  भी  मेले  हों, आनंद की आभा होती है उस रोज़ 'दिवाली' होती है ।        जब प्रेम के दीपक जलते हों        सपने जब सच में बदलते हों,        मन में हो मधुरता भावों की        जब लहके फ़सलें चावों की,        उत्साह की आभा होती है        उस रोज़ दिवाली होती है । जब प्रेम से मीत बुलाते हों दुश्मन भी गले लगाते हों, जब कहींं किसी से वैर न हो सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो, अपनत्व की आभा होती है उस रोज़ दिवाली होती है । जब तन-मन-जीवन सज जाएं सद्-भाव  के बाजे बज जाएं, महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की   मुस्काएं चंदनिया सुधियों की, तृप्ति  की  आभा होती  है उस रोज़ 'दिवाली' होती है    -अटलबिहारी वाजपेयी

EK KAHANI MAIN LIKHTA HUN, SINGER & COMPOSER - PRADEEP SRIVASTAVA, +9199...

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तृतीय राष्ट्रिय कवि सम्मलेन और मुशायरा का आगाज़

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तृतीय राष्ट्रिय कवि सम्मलेन और मुशायरा का आगाज़ नई दिल्ली से पधारे उर्दू अदब के आली जनाब जिया उल हसन साहेब ने शमा को रौशन करके किया | इस मुबारक मौके पर डॉक्टर महमूद रहमानी साहेब, जनाब अजीत तिवारी जी, ज्योतिषाचार्य श्री आदित्य पाण्डेय   आदि मौजूद थे | पेश है शमा रौशन करने के समय के कुछ यादगार चित्र |    

मुशायरा

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दोस्तों, हुजुर साहेब के स्मृति में तीसरे राष्ट्रीय कवि सम्मलेन और मुशायरे का बहुत ही शानदार आगाज़ इस नज्म के साथ हुआ जिसे बंगलौर से आये हुए आई पी एस शायर जनाब शफीक आब्दी ने पेश किया :     ना पूछो आप हमसे के कहाँ मंज़ूर आलम हैं ! यहाँ मंज़ूर आलम हैं, वहाँ मंज़ूर आलम हैं !! ............... किसी आशिक़ के होटों पे अयां मंज़ूर आलम हैं ! किसी मजज़ूब के दिल में निहाँ मंज़ूर आलम हैं !! ............... हर एक मज़हब का पैरोकार ये एलान करता है !! कि बेशक नाज़िशे हिन्दुसतां मंज़ूर आलाम हैं !! ............... मेरे दिल ने कहा दिल से हर मुश्किल के लम्हे में ! तेरे और साहिबा के दरमियाँ मंज़ूर आलम हैं !! ............... ये वो दर है यहाँ इंसानियत का दर्द मिलता है ! दिलों पर एहले दिल हुक्मरां मंज़ूर आलम है !! ...............  ~ शफीक़ आब्दी