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Showing posts from October, 2017

तुलसीदास जी ने बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया

××पढ़ें तुलसीदास जी ने भी बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया है×× आम तौर पर हिंदुस्तान में ऐसे परिस्थितियां कई बार उत्पन्न हुई जब राम -मंदिर और बाबरी मस्जिद (ढांचा ) एक विचार-विमर्श ...

Tips on Heart Attack

*हृदयाघात तथा गर्म पानी पीना* यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं हृदयाघात के बारे में भी एक अच्छा लेख है। चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं, ठंडा प...

Jokes

सर्दी आ रही है ।। लड़किया जहाँ दुखी हैं ।। कि अब स्वैटर पहन के फैशनेबल नही लगेंगी वही लड़के खुश है , अब जैकेट मेे बोतल तो आराम से लायेंगे ।।

Kya Aap jaante hain

आपने कि‍सी ऐसे रेलवे स्‍टेशन के बारे में सुना है क‍ि जि‍समें ट्रेन का इंजन एक राज्‍य में तो ट्रेन के गार्ड का ड‍िब्‍बा दूसरे राज्‍य में खड़ा होता है। हो सकता आपको यह पढ़कर ...

Shayri

जो सच्चा है वही बदनाम क्यों है ! मुहब्बत का यही अन्जाम क्यों है !! तुम्हारा मैं अगर कुछ भी नहीं हूँ ! तुम्हारे लब प मेरा नाम क्यों है !! -नाज़" प्रतापगढ़ी

क्रिकेट विजय

+भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई+ भारतीय क्रिकेट टीम ने न्यूजीलैंड से पूणे में दूसरा वनडे खेलते हुएवमुम्बई की हार का ठीक उसी प्रकार से 6 विकेट से बदला ले लिया |    आज की जीत का सारा श...

सुप्रभात

सुप्रभात, बात इतनी मधुर रखिये कि कभी वापस लेनी पड़े, तो खुद को कड़वी न लगे। प्रदीप श्रीवास्तव, ग़ज़ल गायक

शायरी

कोइ मुझसे पूछे तो मै कहूँ कि वो दिल को मेरे भला लगे ! मेरे साथ रहता है हर घडी के वो एक पल न जुदा लगे !! मेरे साथ है मेरे पास है मेरे दिल में मुझको बसा लगे ! कोई मुझसे पूछे तो मै कहूँ कि वो मुझको मेरा खुदा लगे !! ~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम “कलंदर मौजशाही”  

3RD RASHTRIYA KAVI SAMMELAN-INAUGURATION

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हुज़ूर साहेब की याद में स्थापित साहेब स्मृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए |     आरज़ू है यही मेरे दिल की इस तरह उनको दिल में बसाये ! कि चमन ज़िंदगी का हरा हो फूल बनकर कली मुस्कराये !! ऎसी नज़रें करम है कि बंदा माजराए  करम क्या सुनाये ! यानी मेरे ख़ुदा वो ख़ुदा है जान जिसपर निछावर हो जाये !! हुस्न ख़ुद अपनी सूरत में आकर चार जानिब तजल्ली दिखाये ! देख ले जो नज़र भर के उसको याद जो कुछ हो सब भूल जाये !! कि यही जब भी कुछ इल्तिजा की साक़ी से बस यही हमने माँगा ! ज़िंदगी मैकदे ही में गुज़रे उम्र सारी  यहीं बीत जाये !!  काफ़िला दिल का था जिसके आगे जाल दुनिया ने कितने बिछाये ! हम मगर धुन में अपनी जो निकले तो क़दम फिर कहीं रुक न पाये !!  ~ HUZUR SAHEB 

GHAZAL - तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद !

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तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद ! फूल इस शहर में खिलते है मगर, शाम की बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए |   उससे दरियाफ़्त न करना कभी दिन के हालात !! सुबह का भूला जो लौट आया हो घर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर      दिन तेरे हिज्र में कट जाता है जैसे तैसे ! मुझसे रहती है ख़फ़ा मेरी नज़र, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   क़द से बढ़ जाए जो साया, तो बुरा लगता है ! अपना सूरज वो उठा लेता है हर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   तुम ना कर पाओगे, अंदाज़ा तबाही का मेरी ! तुमने देखा ही नहीं कोई खंडर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   मेरे बारे में कोई कुछ भी कहे सब मंज़ूर ! मुझको रहती ही नहीं अपनी ख़बर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर   ये ही मिलने का समय भी है, बिछड़ने का भी ! मुझको लगता है बहुत अपने से डर, शाम के बाद !! ~...

Amritvachan

गलत लोग सभी के जीवन में आते हैं लेकिन सीख हमेशा सही देकर जाते है !

शायर अतीक फतेहपुरी

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कार्यक्रम के शुरुआत में हुजुर साहेब के पसंदीदा नौजवान शायर जनाब अतीक फतेहपुरी ने हुजुर साहेब को ज़हन में रखते हुए इस ग़ज़ल से शुरुआत की और मौजूद सामाइन से भरपूर दाद पाई |     हुस्न बेनक़ाब हो गया, ईश्क़ क़ामयाब हो गया ! रूह को सुकून मिल गया, काम लाजवाब हो गया !! ठोकरों पे था हर एक तीर, जिंदगी की रहगुज़ार पर ! जब तेरी निगाह पढ़ गई, ज़र्रा आफताब हो गया !! रौशनी से दूर था ये दिल, चांदनी से दूर था ये दिल ! नक़्शे पा-ए-यार मिल गया, सजदा कामयाब हो गया !! खत्म होंगी कब तलक मियाद, ये अदा बताइए ज़रा ! मेरे दिल में अब तो आपका, ज़ुल्म बेहिसाब हो गया !! मैकशी का दौर था उधर, तश्नगी का जोर था ईधर ! उनके दर पे जा के ए अतीक, मैं भी फैज़े यार हो गया !! ~ अतीक़  फतेहपुरी   

उस रोज दीवाली होती है

"उस रोज़ दीवाली होती है" जब मन में हो मौज बहारों की चमकाएँ चमक सितारों की, जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों तन्हाई  में  भी  मेले  हों, आनंद की आभा होती है उस रोज़ 'दिवाली' होती है ।    ...

EK KAHANI MAIN LIKHTA HUN, SINGER & COMPOSER - PRADEEP SRIVASTAVA, +9199...

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तृतीय राष्ट्रिय कवि सम्मलेन और मुशायरा का आगाज़

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तृतीय राष्ट्रिय कवि सम्मलेन और मुशायरा का आगाज़ नई दिल्ली से पधारे उर्दू अदब के आली जनाब जिया उल हसन साहेब ने शमा को रौशन करके किया | इस मुबारक मौके पर डॉक्टर महमूद रहमानी साहेब, जनाब अजीत तिवारी जी, ज्योतिषाचार्य श्री आदित्य पाण्डेय   आदि मौजूद थे | पेश है शमा रौशन करने के समय के कुछ यादगार चित्र |    

मुशायरा

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दोस्तों, हुजुर साहेब के स्मृति में तीसरे राष्ट्रीय कवि सम्मलेन और मुशायरे का बहुत ही शानदार आगाज़ इस नज्म के साथ हुआ जिसे बंगलौर से आये हुए आई पी एस शायर जनाब शफीक आब्दी ने पेश किया :     ना पूछो आप हमसे के कहाँ मंज़ूर आलम हैं ! यहाँ मंज़ूर आलम हैं, वहाँ मंज़ूर आलम हैं !! ............... किसी आशिक़ के होटों पे अयां मंज़ूर आलम हैं ! किसी मजज़ूब के दिल में निहाँ मंज़ूर आलम हैं !! ............... हर एक मज़हब का पैरोकार ये एलान करता है !! कि बेशक नाज़िशे हिन्दुसतां मंज़ूर आलाम हैं !! ............... मेरे दिल ने कहा दिल से हर मुश्किल के लम्हे में ! तेरे और साहिबा के दरमियाँ मंज़ूर आलम हैं !! ............... ये वो दर है यहाँ इंसानियत का दर्द मिलता है ! दिलों पर एहले दिल हुक्मरां मंज़ूर आलम है !! ...............  ~ शफीक़ आब्दी