तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद ! फूल इस शहर में खिलते है मगर, शाम की बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए | उससे दरियाफ़्त न करना कभी दिन के हालात !! सुबह का भूला जो लौट आया हो घर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर दिन तेरे हिज्र में कट जाता है जैसे तैसे ! मुझसे रहती है ख़फ़ा मेरी नज़र, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर क़द से बढ़ जाए जो साया, तो बुरा लगता है ! अपना सूरज वो उठा लेता है हर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर तुम ना कर पाओगे, अंदाज़ा तबाही का मेरी ! तुमने देखा ही नहीं कोई खंडर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर मेरे बारे में कोई कुछ भी कहे सब मंज़ूर ! मुझको रहती ही नहीं अपनी ख़बर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर ये ही मिलने का समय भी है, बिछड़ने का भी ! मुझको लगता है बहुत अपने से डर, शाम के बाद !! ~...