SHAYRI


जो पवित्रता को ठुकराता है वो पग पग ठोकर खाता है===ना राख उड़ती है, ना धुआँ उठता है
कुछ रिश्ते यूँ चुपचाप जला करते हैं
===ऐ जिंदगी सब कुछ कर बस गुरुर न कर
माँ की गोद से शुरू होकर बेटे के कंधो पर निपट जाएगी
===जब आ जाती है दुनिया घूम फिर कर अपने मरकज़ पर
लफ़्ज़ों में भी गर्मियां बेहिसाब होती हैं।
ये सुकून भी देते हैं, ख़ाक भी कर देते हैं।।
===मगर सज़ा वहा मिली जहांबेकसूर थे हम!
तो वापस लौट कर गुज़रे ज़माने क्यूँ नहीं आते
===कसूर तो बहुत किए ज़िन्दगी में,===डिग्रियाँ तो तालीम के ख़र्चों की रसीदें है...
यूँ बार बार टूट कर जुड़ना मेरे बस में नहीं...!!
इल्म वही है जो किरदार में झलकता है...!
===अब रुख्सती चाहता हूँ मुहब्बत के शहर से...!!
शहरयार======अब रुख्सती चाहता हूँ मुहब्बत के शहर से...!!यूँ बार बार टूट कर जुड़ना मेरे बस में नहीं...!!बस धड़कनों में नशा होना चाहिए
शहरयार===उम्र का कोई भी मोड़ हो===वो जब शायरियों से तीर चलाने पे उतर आते हैं...उम्र का कोई भी मोड़ होबस धड़कनों में नशा होना चाहिएढल जाती है हर चीज़ वक्त पे अपने
एक दोस्ती है जो कभी बूढ़ी नहीं होती
===अजीब उलझन है गालिब!
बीबी कहती है पीना छोडो तुम्हें मेरी कसम,
बीबी कहती है पीना छोडो तुम्हें मेरी कसम,
दोस्त कहते हैं पीना पडेगा साले तूझे भाभी जी की कसम===बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है...!!!
एक हम ही हैं जो निशाने पे नज़र आते हैं
===कभी फ़िराक़ के क़िस्से कभी विसाल की बात
यही फ़साना रहा है जुनूँ के सहरा में===आज लफ्जों को मैने शाम की चाय पे बुलाया है...
===मिलो कभी चाय पर फिर क़िस्से बुनेंगे...दूध से कहीं ज्यादा देखे है मैंने शौक़ीन चाय के !!
तुम ख़ामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे...!!!
===चाय के कप से उड़ते धुंए में मुझे तेरी शक़्ल नज़र आती है !
तेरे इन्ही ख़यालों में खोकर, मेरी चाय अक्सर ठंडी हो जाती है !!
===हलके में मत लेना तुम सावले रंग को !
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