SHAYARI

 

बिन बुलाए आ जाता है सवाल नहीं करता,

यह तेरा ख्याल भी न मेरा ख्याल नहीं करता !

हर किसी को मैं खुश रख सकूं वो सलीका मुझे नहीं आता..

जो मैं नहीं हूँ, वो दिखने का तरीका मुझे नहीं आता ।

मेरी फितरत में नहीं है उन परिंदों से दोस्ती रखना,

जिन्हे हर किसी के साथ उड़ने का शौक हो !

जिसकी मस्ती जिंदा है उसकी हस्ती जिंदा है,

 वरना यूं समझ लो कि वो  जबरदस्ती जिंदा है !

रुठा हुआ है मुझसे इस बात पर जमाना,
शामिल नहीं है मेरी फितरत में सर झुकाना !

बड़ी चालाक होती है जिंदगी हमारी,

 रोज नया कल देकर उम्र छिनती रहती है !

ज़िंदगी शायद इसी का नाम है,

दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ !

~ कैफ़ भोपाली

तमाशा देख रहे थे जो डूबने का मेरे,

अब मेरी तलाश में निकले हैं कश्तियां लेकर !
        `                                                                        

कितना महफूज़ था गुलाब, कांटों की गोद में,

लोगों की मोहब्बत में, पत्ता-पत्ता बिखर गया.




















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