इस तरह हम सुकून को महफूज कर लेते हैं, जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं --- --- ख्वाब बोये थे और अकेलापन काटा है , इस मोहब्बत में यारों बहुत घाटा है ! पलट के आऊँगा डालों पे खुशबुएँ लेकर , खिज़ां की ज़द में हूँ , मौसम ज़रा बदलने दो ! मैंने खुद को तुमसे जोड़ दिया, बाकी सब तुम पर छोड़ दिया ! दिल को इतना भी सस्ता मत रखिए , कि हर किसी पर कुर्बान हो जाए ! तेरी मदहोश नज़रें , बहकाती है मेरे कदम , और लोग सोचते हैं , देख कर नहीं चलते हम । पाबन्दियाँ कदमों पे लगती हैं दिलों पर नहीं , माना कि छू सकते नहीं चाँद पर देखना मना तो नहीं ! उखाड़ फेका वो दरख़्त , जिसपे मन्नत का धागा बांधा था ! जो निभा दे साथ जितना , उस साथ का भी शुक्रिया छोड़ दे जो बीच मे उस हाथ का भी शुक्रिया ! गुज़र जाएगा ये वक़्त भी ' ग़ालिब ' ज़रा इत्मिनान तो रख , खुशी ही न ठहरी तो ग़म की क्या औक़ात है !