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Showing posts from October, 2021

Mushaira – Kaliyon Ka Lahoo Peene Wale_Ashfaq Nizami_Kavi Sammelan

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कलियों का लहू पीने वाले , गुलशन की हिफ़ाज़त क्या जाने , जो आतिशे इश्क़ में जलते नहीं , वो लोग इबादत क्या जाने ! - अशफ़ाक़ निज़ामी https://youtu.be/juxI2OkJTRo

SHAYARI

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इस तरह हम सुकून को महफूज कर लेते हैं, जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं --- --- ख्वाब बोये थे और अकेलापन काटा है ,  इस मोहब्बत में यारों बहुत घाटा है ! पलट के आऊँगा डालों पे खुशबुएँ लेकर , खिज़ां की ज़द में हूँ , मौसम ज़रा बदलने दो ! मैंने खुद को तुमसे जोड़ दिया, बाकी सब तुम पर छोड़ दिया ! दिल को इतना भी सस्ता मत रखिए , कि हर किसी पर कुर्बान हो जाए ! तेरी मदहोश नज़रें , बहकाती है मेरे कदम , और लोग सोचते हैं , देख कर नहीं चलते हम । पाबन्दियाँ कदमों पे लगती हैं दिलों पर नहीं , माना कि छू सकते नहीं चाँद पर देखना मना तो नहीं ! उखाड़ फेका वो दरख़्त , जिसपे मन्नत का धागा बांधा था ! जो निभा दे साथ जितना , उस साथ का भी शुक्रिया छोड़ दे जो बीच मे उस हाथ का भी शुक्रिया ! गुज़र जाएगा ये वक़्त भी ' ग़ालिब ' ज़रा इत्मिनान तो रख , खुशी ही न ठहरी तो ग़म की क्या औक़ात है !  

Mushaira – Mila Hai Jiske Karam Se Ye Afsana Mujhe_Farooq Jaysi_Kavi Sammelan

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मिला है जिसके करम से ये अफ़साना मुझे, उसी के फैज़ से मिलता है आबोदाना मुझे - फ़ारूक़ जायसी Mushaira – Mila Hai Jiske Karam Se Ye Afsana Mujhe_Farooq Jaysi_Kavi Sammelan HHh JHKKOOKKKJjj https://youtu.be/-kGdjmb6_84

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Mushaira- Phir Wahi Shaam Intzar Aur MaiN_S.M. SHIRAJ_SHIRAJ BHOPALI__Ka...

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नवम राष्ट्रिय कवि सम्मलेन व मुशायरा, कानपुर:- फिर वही शाम इंतज़ार और मैं, फिर मेरी चश्मे अश्क़बार और मैं ! - सिराज भोपाली https://youtu.be/vYQIPUYf27U

SHAYARI

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कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से ये नये मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो ढलता सूरज , फैला जंगल , रस्ता गुम, हमसे पूछो , कैसा आलम होता है ! खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है , सौ साल गुजरने पर भी जवान ही रहे ! बेशक बुलंदियों में यकीन रखते हैं हम,  मगर पांव के नीचे जमीन भी रखते हैं हम अब नही कोई बात खतरे की , यहाँ सभी को सब से खतरा है ।। आदते  कुछ अलग हैं मेरी दुनिया वालों से ,  दोस्त कम रखता हूं , पर लाजवाब रखता हूं ! ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे नवाई* की बुझा चराग़ तो जुगनू ने रहनुमाई* की ( इक़बाल अशहर )  

Nazm - Tumhi Ho Meri Justju_Pradeep Srivastava’Raunaq Kanpuri_Mushaira

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नज़्म तुम्ही हो मेरी जुस्तजू,  तुम्ही हो मेरी जुस्तजू, तस्सवुर में तुझको बसाया है मैंने, निगाहों में तुझको छुपाया है मैंने, मेरे दिल में है तू ही तू तुम्ही हो मेरी जुस्तजू,  - प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक़ कानपुरी' https://youtu.be/5guKPXgBshQ

Saheb Meri Nazar Mein_साहेब मेरी नज़र में_ Dr. Ira Mishra Ji (Mai Sahiba Ji)

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-:: साहेब मेरी नज़र में ::- साहेब स्मृति फाउंडेशन के द्वारा दिनांक १६ अक्टूबर २०२१ को कानपूर के स्टॉक एक्सचेंज प्रेक्षागार में 'जश्ने मौजशाही' के अंतर्गत नवम राष्ट्रिय कवि सम्मलेन व मुशायरे' का आयोजन किया गया जिसमे सूफ़ी संत हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही' के संस्मरण एवं उनकी नसीहतों को, उनके बताये हुए रास्तों का ऑडियो संकलन " साहेब मेरी नज़र में" जिसे हम सब की गुरुमाता माई साहिबा जी ने अपनी वाणी से बताया का विमोचन भी किया गया | इस अवसर पर सुश्री ईशा त्रिपाठी ने विस्तार से बताया और श्री फ़ारूक़ जायसी ने इस संस्करण का लफ़्ज़ों की चाशनी से सभी को बताया | https://youtu.be/HKkB_KmwSXo

Snao Murli Ki Taan Fir Se_ सुनाओ मुरली की तान फिर_Pradeep Srivastava_सूफ़...

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सूफ़ी कलाम सुनाओ मुरली की तान फिर से मेरे कन्हैया मेरे कन्हैया , कि चारो जानिब सुरूर बरसे   मेरे कन्हैया मेरे कन्हैया ! कलाम हज़रत मंज़ूर आलम शाह ' कलंदर मौजशाही ' गायक प्रदीप श्रीवास्तव https://youtu.be/n_g48YvuTR8

Ab Sham Ho Rahi Hai Chalo Maikade Chalen_Sufi Qalam_Pradeep Srivastava ,...

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अब शाम हो रही है चलो मैकदे चलें ! काली घटा उठी है चलो मैकदे चलें !! इस प्यास की तलब है इसे और कुछ मिले ! बेचैन हो रही है चलो मैकदे चले !! https://youtu.be/unQzjC9AfkM

MUSHAYRA

 आज १६/१० /२०२१ को नवम राष्ट्रिय कवि सम्मलेन और मुशायरा स्टॉक एक्सचेंज हाल, सिविल लाइन्स,कानपुर  सायं ४ बजे से, आपकी उपस्थित प्रार्थनीय है |  निमंत्रण पत्र की ज़रूरत नहीं हम वहां रहेंगे |  प्रदीप श्रीवास्तव  साहेब स्मृति फाउंडेशन के तत्वाधान में सुप्रसिद्ध सूफ़ी संत हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही' की मधुर स्मृति में दिनांक १६ अक्टूबर, २०२१ को सायं ४ बजे से स्थानीय स्टॉक एक्सचेंज के प्रेक्षागार में नवम 'राष्ट्रिय कवि सम्मलेन / मुशायरा का आयोजन किया जा रहा है | इस कार्यक्रम का शुभारम्भ विधिवत वैदिक मन्त्रों से पूजन करके किया जायेगा | तत्पश्चात मौजशाही ख़ानक़ाह के क़व्वाल प्रदीप श्रीवास्तव व उनके साथियों के द्वारा हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही' के सूफ़ी कलमों से किया जाएगा  |  इसके तुरंत बाद ही राष्ट्रिय कवि सम्मलेन / मुशायरे का आग़ाज़ होगा | इस कवि सम्मलेन / मुशायरे की निज़ामत लखनऊ से आये शायर जनाब डॉ. नैय्यर जलालपुरी करेंगे | निम्न शायर और कवि आ रहे हैं  १-  डॉ. नैय्यर जलालपुरी (लखनऊ) - निज़ामत २-  जनाब शफ़ीक़ आब्दी ( बंगलौर) ३- नईम राशिद  ४- नाज़ प्रतापगढ़ी (प्रताप गढ़) ५-

HUZUR SAHEB AMRIT WACHAN_PART 5A_22, DECEMBER, 2000_

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HUZUR SAHEB AMRIT WACHAN_PART 5A_22, DECEMBER, 2000_ https://youtu.be/MDvkLm4PZOo

HUZUR SAHEB AMRIT WACHAN_PART 4B_21, DECEMBER, 2000_

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HUZUR SAHEB AMRIT WACHAN_PART 4B_21, DECEMBER, 2000_ https://youtu.be/m4wezkA9h_I

SHAYARI

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ज़ुल्म करता हूँ ज़ुल्म सहता हूँ मैं कभी चैन से रहा ही नहीं ~फ़ैज़ी  

Janme Hain Kanhai_Krishna Bhajan_भजन जन्मे हैं कन्हाई नाचो जी_Pradeep Sr...

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कृष्ण भजन जन्मे हैं कन्हाई नाचो जी , बाजे शहनाई नाचो जी , गायक प्रदीप श्रीवास्तव https://youtu.be/N6c-a9CkgOU

SHAYARI

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चराग़ों के अपने घर नहीं होते, जहाँ जलते हैं रौशनी बिखेर देते हैं !   

SHAYARI

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  यूँ ही बे-सबब न फिरा करो, कोई शाम घर में भी रहा करो ! वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है, उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो ! कितनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी,  लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे ! अपनी महफिल में दोस्त क्या,  दुश्मनों को भी बुलाना पड़ता है !  किसी से खुशी बाटनी होती है,  किसी को जलाना भी पड़ता है ! अंदर तक तोड़ देते हैं आंसू जो,  रात के अंधेरे में चुपचाप निकलते हैं ! बड़े चुपचाप से बैठे हो क्या बात हो गई , शिकायत है हमसे या किसी और से मुलाकात हो गई ! आप के बाद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है ~ गुलज़ार  

SHAYARI

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मोहब्बत मोहब्बत ही रहेगी बदल न जायेगी, चाहे तुम हमसे करो या हम तुमसे करें !  

HUZUR SAHEB AMRIT WACHAN_PART 3B_21, DECEMBER, 2000_

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पूज्य्नीय गुरुवर हज़रत मंज़ूर आलम शाह ' कलंदर मौजशाही ' ' हुज़ूर साहेब ' अपने जीवन काल में हर चौमासे पर चिल्ला पूर्ण होने के बाद महफ़िल और नियाज़ का आयोजन करवाते थे | उस दौरान हुज़ूर साहेब अपने आशिक़ और अपने मुरीदों को अमृतवचन से नवाज़ते थे | आप के अमृत वचन जीने का एक सहारा बन गए हैं |   इसी क्रम में 21.12.2000 में हुज़ूर साहेब ने अपने अमृतवचन से अपने आशिक़ों और मुरीदों को जो कहा वो आपकी ख़िदमत में पेश है और इसे बार बार सुने अपने इस अमूल्य जीवन में एक नई ऊर्जा पैदा करें | ‘ साहेब स्मृति फ़ाउनडेशन ’ https://youtu.be/HsHtNz5SEHI

SHAYARI

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सीखा देते हैं सारे फ़न उन्हें परवाज़ के लेकिन, परिंदे अपने बच्चों को कभी मसकन नहीं देते ! मसकन-घर हक़ीक़त थी, ख़्वाब था या तुम थे, जो भी था, हम तो तुम्ही में गुम थे ! --- --- अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक़सर , न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है । --- --- तेरी यादों को पसंद आ गई है मेरी आंखों की नमी, हंसना चाहूं भी तो रूला देती है तेरी कमी ! --- ---