SHAYARI
इस तरह हम सुकून को महफूज कर लेते हैं,
जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं
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ख्वाब बोये
थे और अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में यारों बहुत घाटा है !
पलट के
आऊँगा डालों पे खुशबुएँ लेकर,
खिज़ां की ज़द
में हूँ, मौसम ज़रा बदलने दो !
मैंने खुद
को तुमसे जोड़ दिया,
बाकी सब तुम
पर छोड़ दिया !
दिल को इतना
भी सस्ता मत रखिए,
कि हर किसी
पर कुर्बान हो जाए !
तेरी मदहोश
नज़रें, बहकाती है मेरे कदम,
और लोग
सोचते हैं, देख कर नहीं
चलते हम ।
पाबन्दियाँ
कदमों पे लगती हैं दिलों पर नहीं,
माना कि छू
सकते नहीं चाँद पर देखना मना तो नहीं !
उखाड़ फेका वो
दरख़्त,
जिसपे मन्नत
का धागा बांधा था !
जो निभा दे
साथ जितना, उस साथ का
भी शुक्रिया
छोड़ दे जो
बीच मे उस हाथ का भी शुक्रिया !
गुज़र जाएगा
ये वक़्त भी 'ग़ालिब' ज़रा इत्मिनान तो रख,
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