SHAYARI

सीखा देते हैं सारे फ़न उन्हें परवाज़ के लेकिन,

परिंदे अपने बच्चों को कभी मसकन नहीं देते !

मसकन-घर

हक़ीक़त थी, ख़्वाब था या तुम थे,

जो भी था, हम तो तुम्ही में गुम थे !

--- ---

अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक़सर ,

न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है ।

--- ---

तेरी यादों को पसंद आ गई है मेरी आंखों की नमी,

हंसना चाहूं भी तो रूला देती है तेरी कमी !

--- ---




 

Comments

Popular posts from this blog

GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी

Ye Kahan Aa Gaye Hum_Lyric_Film Silsila_Singer Lata Ji & Amitabh ji

SUFI_ NAMAN KARU MAIN GURU CHARNAN KI_HAZRAT MANZUR ALAM SHAH