वो जो उतरा है नज़रों से इस बार हमने उसकी नज़रें भी उतारी थी कभी पहले वो सिर्फ मुझसे बात करती थी अब वो मुझसे भी बात कर लेती है -- जब से खबर उड़ी है कि सच बोलते हैं हम , पत्थर बरस रहे हैं हमारे मकान पर -- बात निकली है अगर , किसी ने तो कही होगी , धुआं उठ रहा है , तो आग भी कहीं लगी ही होगी -- वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया , जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया ! हाफिज जालंधरी -- मरे तो लाखों होंगे तुझ पर , मैं तो तेरे साथ जीना चाहता हूँ। -- हवा ख़फ़ा थी मगर इतनी संग-दिल भी न थी , हमीं को शम्अ जलाने का हौसला न हुआ ! कैसर उल जाफरी -- तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए , मुद्दातों के बाद देखा था तो आंसू आ गए । - फ़िराक गोरखपुरी -- आज दोस्त कुछ पुरानें याद आने लगे , फिर से वो गुजरे जमानें याद आने लगे , गुल्ली डंडा खेलना , नहाना ताल तलैया में , गांव में बीते दिन वो सुहाने याद आने लगे। राकेश नमित -- आए थे हंसते खेलते मयखाने में फ़िराक। जब पी चुके शराब तो संजीदा हो है । फ़िराक गोरखपुरी PRADEEP SRIVASTAVA MUSICAL GROUP # +91 9140886598