SHAYARI 24-05-2024

वो जो उतरा है नज़रों से इस बार

हमने उसकी नज़रें भी उतारी थी कभी


पहले वो सिर्फ मुझसे बात करती थी

अब वो मुझसे भी बात कर लेती है

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जब से खबर उड़ी है कि सच बोलते हैं हम,

पत्थर बरस रहे हैं हमारे मकान पर

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बात निकली है अगर, किसी ने तो कही होगी,

धुआं उठ रहा है, तो आग भी कहीं लगी ही होगी

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वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया,

जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया !

हाफिज जालंधरी

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मरे तो लाखों होंगे तुझ पर,

मैं तो तेरे साथ जीना चाहता हूँ।

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हवा ख़फ़ा थी मगर इतनी संग-दिल भी न थी,

हमीं को शम्अ जलाने का हौसला न हुआ !

कैसर उल जाफरी

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तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए,

मुद्दातों के बाद देखा था तो आंसू आ गए ।

- फ़िराक गोरखपुरी

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आज दोस्त कुछ पुरानें याद आने लगे,

फिर से वो गुजरे जमानें याद आने लगे,

गुल्ली डंडा खेलना, नहाना ताल तलैया में,

गांव में बीते दिन वो सुहाने याद आने लगे।

राकेश नमित

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आए थे हंसते खेलते मयखाने में फ़िराक।

जब पी चुके शराब तो संजीदा हो है ।

फ़िराक गोरखपुरी

PRADEEP SRIVASTAVA MUSICAL GROUP

# +91 9140886598






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