डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े,

सय्याद की निगाह सू-ए-आशियाँ नहीं

- Momin Khan Momin

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जिस राह से गुज़रने की इजाज़त नहीं मुझे,

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बताने वाले वहीं पर बताते हैं मंज़िल

हज़ार बार जहाँ से गुज़र चुका हूँ मैं...

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गुनाह कर के भी कहां छुपाओगे  साहब

यह जमीन और आसमा सब उन्हीं का है

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वो भी रस्मन यही पूछेगा कि कैसे हो तुम

मैं भी हँसते हुए कह दूँगा कि अच्छा हूँ मैं

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बिना दस्तक दिए दिल में उतर जाती हैं

तेरी यादें भी बिना मौसम बरस जाती हैं

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ढक के चलता हूं जख्मों को अपने आजकल

नमकीन बातें झलकती है, लोगों के लहजों में

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अब तो उनकी याद भी आती नही,

कितनी तन्हा हो गई तन्हाइयां ।

- फ़िराक गोरखपुरी

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हालात वो ना होने दें कि हौसला बदल जाये,

बल्कि हौसला वो रखें की हालात बदल जाए

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मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया,

तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।

PRADEEP SRIVASTAVA MUSICAL GROUP.

# +91 9140886598

 

 

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