SHAYARI_16-05-2024
तुम जब
भी मेरे ख्यालों में आते हो,
होंठ
मेरे खुद बखुद मुस्कराने लगते हैं,
तुम जब
मुस्कराते हो सामने आकर मेरे,
होंठ
मेरे प्रेम गीत गुनगुनाने लगते है,
यह तेरी
चाहत की कशिश है या मेरा दीवानापन,
हर तरफ बहारों
के मौसम छाने लगते है।
-राकेश
नमित
गुल पर
क्या कुछ बीत गई है,
अलबेला
झोंका क्या जाने !
अदा
जाफरी
हम से
आबाद है ये शेर-ओ-सुख़न की महफ़िल
हम तो मर
जाएँगे लफ़्ज़ों से किनारा कर के
जाने
बादलों के बीच क्या साजिश हुई !
मेरा घर
मिट्टी का था मेरे घर बारिश हुई !!
कितना
मुश्किल है इस अन्दाज़ में ज़िंदगी बसर करना,
तुम्हीं
से फ़ासला रखना और तुम्हीं से इश्क़ करना ॥
बचाना चाहते
हैं हम बचे
हुए रिश्ते
सो अब
ज़ियादा किसी के क़रीब जाते नहीं.!
-आलम_खुर्शीद
जिंदगी
तलवार की धार पर चलने जैसा है।
चलना भी
है और कटने से बचना भी है।
PRADEEP
SRIVASTAVA MUSICAL GROUP
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