SHAYARI 03-08-2024
वही ज़मीन
है वही आसमान वही हम तुम,
सवाल यह
है ज़माना बदल गया कैसे।
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ज़िंदा
रहने की अब ये तरकीब निकाली है,
ज़िंदा
होने की खबर सबसे छुपा ली है।
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मुझे
ऊँचाइओं पर देखकर हैरान है बहुत लोग,
पर किसी ने
मेरे पैरो के छाले नहीं देखे।
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मिला
वक़्त तो ज़ुल्फ़ तेरी सुलझाऊँगा,
अभी तो
उलझा हूँ वक़्त को सुलझाने में।
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तुम राह
में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो,
किस-किस
को बताओगे घर क्यों नहीं जाते।
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लहर लहर
को है हैरानी अजब नशे में डूबा है।
भूल गया
है यार रवानी अजब नशे में डूबा है।
एक रोज
तुम घाट पे जिसके पांव डुबो कर बैठी थी
आज तलक
उस झील का पानी अजब नशे में डूबा है।।
पंकज
अंगार
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तरक्की
की फसल हम भी काट लेते
अगर
थोड़े से तलवे हम चाट लेते
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महफ़िल
में गले मिल के वो धीरे से कह गए।
ये
दुनिया की रस्म है, इसे मोहब्बत न समझ लेना।।
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जो
ज़ाहिर करना पड़े वो दर्द कैसा ।
और जो
दर्द न समझे वो हमदर्द कैसा ।।
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खामोशियाँ
बोल देती है जिनकी बातें नहीं होती,
इश्क़ तो
वो भी करते है जिनकी मुलाक़ातें नहीं होती !!
PRADEEP SRIVASTAVA
MUSICAL GROUP.
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