SHAYARI- 04-08-2024
शायद कोई
तराश कर मेरी किस्मत संवार दे,
यह सोच
कर हम उम्र भर पत्थर बने रहे।
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मैं
रोशनी था मुझे फैलते ही जाना था,
वो बुझ
गए जो समझते रहे चिराग़ मुझे
- राजेश
रेड्डी
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जब आपके
अल्फाज किसी को चुभने लगे
तो तोहफे में उसे अपनी खामोशी दे दो
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जब तक था
दम में दम न दबे आसमाँ से हम,
जब दम
निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया।
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वो पहले
सा कहीं मुझको कोई मंज़र नहीं लगता,
यहाँ
लोगों को देखो अब ख़ुदा का डर नहीं लगता।
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ना तो
इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे,
और ना ही
इतने मीठे बनो की कोई निगल जाए
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शाख से
तोड़े गए फूल ने हँस कर ये कहा,
अच्छा
होना भी बुरी बात है इस दुनिया में।
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ऐसे
माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है,
जहाँ
कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है ?
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नहीं बसती
किसी और की सूरत अब इन आंखों में,
काश कि हमने
तुझे इतने गौर से ना देखा होता |
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उसकी याद
आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो !
धड़कनों से
भी इबादत में ख़लल पड़ता है !!
– राहत इंदौरी
PRADEEP
SRIVASTAVA MUSICAL GROUP.
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