Mushaira_Iqra Ambar_Kisi Ko Kya Batayein_किसी को क्या बताएं मन नहीं है_J...
किसी को क्या
बताएं मन नहीं है,
अकेले हैं
अकेलापन नहीं है !
मेरे अश्क़ों
ज़रा तुम सांस तो लो,
अभी ख़ाली कोई
दामन नहीं है !
सभी से हो
चूका झगड़ा हमारा,
किसी से अब
कोई अनबन नहीं है !
वो मुझको देख
कर ठहरा नहीं है,
तो क्या ये
ज़ख़्म भी गहरा नहीं है !
वो जब चाहे
दिए सा दिल बुझा दे,
हवा की चाल पर
पहरा नहीं है !
मेरी तन्हाई
में कुछ देर रह लो,
मुक़द्दर में
अगर पहरा नहीं है !
दिलो दिमाग़
में क्या है पता नहीं लगता,
वो बेवफ़ा है
मगर बावफ़ा नहीं है
- इक़रा अम्बर
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