Mushayra_Ateeq Fatehpuri_Kaise Kahun Tumhari Inayat Nahi _कैसे कहूं तुम्...
Mushayra_Ateeq
Fatehpuri_Kaise Kahun Tumhari Inayat Nahi Rahi_Jashne Maujshahi_19-10-2024
१९, अक्टूबर २०२४ को साहेब स्मृति फाउंडेशन
के द्वारा सुप्रसिद्ध सूफ़ी संत हज़रत मंज़ूर आलम शाह “कलंदर मौजशाही” के उर्स के
मुबारक़ मौके पर आयोजित “जश्न-ए-मौजशाही २०२४” के कार्यक्रम में कानपुर के जाने
माने शायर जनाब अतीक़ फतेहपुरी ने अपनी ग़ज़ल से कार्यक्रम का आग़ाज़ किया !
कैसे कहूं तुम्हारी इनायत नहीं रही,
तुम हो तो अब किसी की भी हाजत नहीं रही !
जब से मिला है मुझको तेरा दामने करम,
औरों को देखने की ज़रूरत नहीं रही !
आदाबे हुस्न भूल गए बेख़ुदी में हम,
उनसे नज़र मिलाने की ज़ुर्रत नहीं रही !
तस्वीर उनकी ऐसे उतारी है आपने,
अब तो किसी ख़्याल की हाजत नहीं रही !
जाए तो उठ के जाए कहाँ बज़्मे नाज़ से,
ग़ैरों के दर पे जाने की आदत नहीं रही !
- अतीक़ फ़तेहपुरी
प्रदीप श्रीवास्तव,
वास्ते: साहेब स्मृति फाउंडेशन, कानपुर
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