ROOH-E-SHAYARI-01.12.2020
वो आज बच के निकलते हैं मेरे साये से , कि मैंने जिनके लिए ग़म की धूप झेली थी ! चढ़ा रहे हैं वही आज आस्तीं मुझ पर , कि जिनकी पीठ पर कल तक मेरी हथेली थी ! ~ माहिर रतलामी पसीना उम्र भर का उसकी गोद में सूख जाएगा … हमसफ़र क्या चीज है ये बुढ़ापे में समझ आएगा..!! - - - अपनी आँखों पे नाज़ करते हैं तेरी तस्वीर देखने वाले ~ रियाज़ तारिक़ - - - - शुक्रिया साथ छोड़ने वालो तन्हा जीना सिखा दिया तुमने - असद अजमेरी - - - - हम कहाँ जाँए हमारा नहीं दुनिया मे कोई तुम जहाँ जाओगे सब लोग तुम्हारे होंगें असद अजमेरी - - - - वो मेरी ख़मोशी को समझते नहीं असद कोई उन्हें बताये के उनसे ख़फ़ा हूँ मै असद अजमेरी - - - -