पंडित मदन मोहन मालवीय

#पुण्यतिथि_विशेष
#मियां_की_जूती_मियां_के_सर
ये कहावत बनी कैसे शायद हममें से बहुत कम लोगो को पता होगा 
#चलिए_जानते_है

#काशी_हिन्दू_विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए पेशावर से लेकर
कन्याकुमारी तक
#महामना_मदन_मोहन_मालवीय_जी
ने इसके लिए चंदा एकत्र किया था, जो उस
समय करीब एक करोड़ 64 लाख रुपए हुआ था
#काशी_नरेश ने जमीन दी थी तो

#दरभंगा_नरेश ने 25 लाख रुपए से सहायता की थी।
वहीं #हैदराबाद के #निजाम ने कहा कि इस विश्वविद्यालय से पहले ‘हिंदू’ शब्द हटाओ
फिर दान दूंगा
महामना ने मना कर दिया तो निजाम ने
कहा कि मेरी जूती ले जाओ
महामना उसकी जूती लेकर चले गए और हैदराबाद में
#चारमीनार के पास उसकी नीलामी लगा दी
निजाम की मां को जब
पता चला तो वह बंद बग्घी में पहुंची और करीब 4 लाख रुपए
की बोली लगाकर निजाम का जूता खरीद लिया
उन्हें लगा कि उनके
बेटे की इज्जत बीच शहर में नीलाम हो रही है
#मियां_की_जूती_मियां_के_सर’
मुहावरा उसी घटना के बाद से प्रचलित हो गया ।
#भारत_रत्न_राष्ट्रवाद_के_प्रखर_समर्थक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् एवं स्वतंत्रता सेनानी #भारत_रत्न
#महामना_पं. #मदन_मोहन_मालवीय_जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन विनम्र श्रद्धांजलि।🙏💐

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