ROOHE SHAYARI 06.11.2020
मंजिले
उन्हें नहीं मिलती जिनके ख्वाब बड़े होते हैं
बल्कि
मंजिल उन्हें मिलती है जो जिद पर अड़े होते हैं
बिन बुलाए
आ जाता है सवाल
नहीं करता,
यह तेरा
ख्याल भी न मेरा
ख्याल नहीं करता ।
हर
किसी को मैं खुश रख सकूं वो सलीका मुझे नहीं आता,
जो मैं
नहीं हूँ, वो दिखने का तरीका मुझे नहीं आता ।
मेरी
फितरत में नहीं है उन परिंदों से दोस्ती रखना,
जिन्हे
हर किसी के साथ उड़ने का शौक हो |
जिसकी
मस्ती जिंदा है उसकी हस्ती जिंदा है
वरना
यूं समझ लो कि वो जबरदस्ती जिंदा है
तुम्हें
फुर्सत आये तो रंजिशें भुला देना दोस्तों
किसी को नहीं खबर कि सांसो की मोहलत कहां तक है
रुठा
हुआ है मुझसे इस बात पर जमाना
शामिल नहीं है मेरी फितरत में सर झुकाना
ज़िंदगी
शायद इसी का नाम है
दूरियाँ
मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
~ कैफ़
भोपाली
बड़ी
चालाक होती है जिंदगी हमारी
रोज नया कल देकर उम्र छिनती रहती है
तमाशा
देख रहे थे जो डूबने का मेरे
अब मेरी तलाश में निकले हैं कश्तियां लेकर
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