ROOHE SHAYARI
मेरा नग़्मा सूना था याद होगा,
तुम्हे अच्छा लगा था याद होगा,
वो सावन का महीना और झूले,
तुम्हे कुछ कुछ हुआ था याद होगा,
~ जिगर श्योरपुरी
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नज़र आज़माने को जी चाहता है,
नए गुल खिलने को जी चाहता है,
ज़माना मेरा आज़माया हुआ है,
तुझे आज़माने को जी चाहता है !
~ सिकंदर अली वज्द
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ज़िंदगी और मौत में इतना ही अंतर है जिगर,
इसमें इंसां रोज़ ही मरता है उसमे एक बार !
~ जिगर श्योरपुरी
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साथ में भीड़ लगाने की ज़रूरत क्या है,
हो यक़ीं ख़ुद पे ज़माने की ज़रूरत क्या है !
सर उठाकर के चलो गरचे गुनहगार न हो,
इस तरह नज़रें चुराने की ज़रूरत क्या है !
~ जिगर श्योरपुरी
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ये ज़माना तो मोहब्बत को ख़ता कहता है,
अपनी ज़िद ये है हमें ये ही ख़ता करना है !
साक़िया खोल दे इस मयकदे के दरवाज़े,
हमको इन मस्त निगाहों से नशा करना है !
~ जिगर श्योरपुरी
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