SHAYARI 30.01.2022
तिरे वुजूद को पिघला के रख दिया"वाहिद"
ये आग और ये हरारत कहाँ से आई है।
डॉ.लक्ष्मण शर्मा “वाहिद”
किसी को अपना बनाने की रात आई है,
कि दिल से दिल को मनाने की रात आई यही !
ग़ज़ल के शेर सुनाने की रात आई यही,
किसी की नींद उड़ाने की रात आई है !
मोहब्बत कभी
किसी की इजाज़त की मोहताज नहीं,
ये हमेशा से
होती चली आई है, और हमेशा होती रहेगी !
# +91 9140886598
हमारी हर नज़र तुझ से नई सौगंध खाती है,
तो तेरी हर नज़र से हम नया पैमान लेते हैं !
-फ़िराक़ गोरखपुरी
हुआ किसी से न होने की है उम्मीद कोई,
वो काम जो तेरी आँखों की ख़ानक़ाह करे !
नाज़ प्रतापगढ़ी
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