जिसका हरेक गोशा बे हद है प्यारा प्यारा वो है वतन हमारा, वो है वतन हमारा, --

                                 जिसका हरेक गोशा बे हद है प्यारा प्यारा

वो है वतन हमारा, वो है वतन हमारा,

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हिन्दू हों  या  मुसलमाँ रहते हैं साथ मिलकर

अम्नो अमाँ के ख़्वाहाँ रहते हैं साथ मिलकर

दुनिया में है कहीं पर क्या ऐसा भाई चारा

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शाम-ओ-सहर यही बस हम मशग़ला करेंगे

जब तक जियेंगे उनका हम तज़किरा करेंगे

पुर्खों ने खून दे कर सींचा है हिंद सारा

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नहरू ने भी कहा है गाँधी ने भी कहा है

जो आशिक़े वतन है उस ने यही कहा है

जय हिंद दोस्तो है अपना तो एक नारा

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चाहे कहीं भी पहुँचें  हिन्दोस्तान वाले

रखते  हैं  जुस्तजू में हिन्दोस्तान वाले

है आरज़ू तिरंगा बस हो कफ़न हमारा

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वल्लाह ये हमारा कितना हसीं चमन है

जिसको सलाम करती सूरज की हर किरन है

करता है रश्क़ इसपर अम्बर का हर सितारा

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गन्दी निगाह डाली जिस ने वतन पे मेरे

ये चाँद फिर तो उसके कर  देगा टुकड़े टुकड़े

हो जाए चाहे छलनी मेरा बदन ये सारा

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- चाँद आदिल बरेली


 

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