SHAYARI 06.08.2022

 

काग़ज़ की वो कश्ती थी दरिया का किनारा था।

उस डूबने वाले को तिनके का सहारा था ।।

अब टूटे हुए दिल के ज़ख़्मों को भरें क्या हम।

हर तीर-ए-सितम उनका हमें जान से प्यारा था।।

- अरुण सरकारी

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तुमसे मिलकर भूल जाना आसान नहीं है,

तुमसे हटकर मेरा कोई भी जहान नहीं है,

इक बार तो अपना बनाकर  देखिए हमको,

ताउम्र का रिश्ता है ये दो दिन का मेहमान नही है।

- राकेश नमित

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दिल में तमन्नाओं को दबाना सीख लिया है मैंने

गमों को आँखों में छिपाना सीख लिया है मैंने

मेरे चेहरे से कोई बात जाहिर ना हो जाए कहीं

इसलिए फूलों से मुस्कुराना सीख लिया है मैंने

- राकेश नमित

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हर एक बज़म परेशाँ है उनके आने से।

उसे पसंद बहुत है ये खेल मक़तल का।

- मोहम्मद अफ़रोज़ खान अफ़रोज़

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सूरज ने हर तरफ किया है उजाला,

पंक्षियों ने भी छेड़ा है संगीत निराला,

फूलों से निकली है सुगंधित बयार,

खुश होकर नाचनें लगा मन मतवाला।

- राकेश नमित

सुबह सुबह कोयल की कूक बहुत सुहाती है,

सूरज की किरण हर तरफ रौशनी फैलाती है,

रंग बिरंगे फूलों से लहराया है धरा का आंचल,

सुगंधित पवन जीवन में खुशियाँ फैलाती है।

- राकेश नमित


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