SHAYARI
शक का कोई इलाज़ नहीं चरित्र का कोई प्रमाण नहीं,
मौन से बेहतर साधन नहीं और शब्द से तीखे बाण नहीं !
आईनों का दुश्मन है संगदिल जहां फिर भी,
आप हैं कि पत्थर को आईना बनाते हैं।
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तुम चुप रहे पयाम ए मोहब्बत यही तो है...
आंखें झुकी नज़र की कयामत यही तो है...
महफिल में लोग चौंक पड़े मेरे नाम पर...
तुम मुस्कुरा दिए मिरी कीमत यही तो है...
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आंख के आंसुओं को यूँ न बहाया कीजिए,
ये तो मोती हैं इन्हें यूँ न लुटाया कीजिए,
कद्र करते हैं जो तुम्हारे इन आंसुओं की,
उनकी बातों पर जरा गौर फरमाया कीजिए।
- राकेश नमित
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