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Showing posts from June, 2023
Sufi_Baatin Ki Zindgi Ke Mayane | Hamari Zaban Se | Dr.Ira Mishra ‘Mai ...
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Sufi_Baatin Ki Zindgi Ke Mayane | Hamari Zaban Se | Dr.Ira Mishra ‘Mai Sahiba ji_ सुफ़ीनामा - 5 " बातिन की जिंदगी के मायने ” " हुज़ूर साहेब का फरमान" हमारी ज़बान से : आज कल की पीढी ( Generation) के हिसाब से या समझ के मुताबिक़ लफ़्ज़ों का आसान तरीके कहा या समझाया गया है ताकि लोगों के दिलों तक ये बातें पहुँच सकें ! डॉ. इरा मिश्रा https://youtu.be/WMe9ULCI3mA
SHAYARI 17-06-2023
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सहरा में जब भी ख़ुद को पुकारा तो डर लगा , थे क़ाफ़िले की भीड़ में तनहा तो डर लगा। पर्दा रहा तो देखने की आरज़ू रही , हटने का बस गुमान हुआ था तो डर लगा। - स्वरुप सोने वालों को क्या ख़बर ऐ हिज्र ! क्या हुआ एक शब में क्या न हुआ !! - साकिब लखनवी For Prog. +91 9140886598 बिनती है हाथ जोड़ के आलम पनाह से ! बचिये दिलों को तोड़ने वाले गुनाह से !! - असद अजमेरी For Prog. +91 9140886598 चाहता कोई नहीं साहिबे इमां होना ! दौरे हाजिर में हुआ जुर्म अब इंसां होना !! रुबरु हो के तेरा मुझसे पशेमां होना ! आके पहलू में वो जुल्फों का परेशां होना !! - शंकर शरण काफ़िर For Prog. +91 9140886598 बोसा देने में जो पूछा कि क्या बिगड़ता है , बोले आप ही कहो कि लेने में क्या मिलता है !! For Prog. +91 9140886598 कौन छूकर गुज़रा की खिले जाते हैं , इतने सरशार तो पहले न थे होटों के गुलाब ! For Prog. +91 9140886598
Bhajan | Hari Sunder Nand Mukunda | हरी सुंदर नन्द मुकुंदा हरी नरायण | P...
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Gali Mein Aaj Chand Nikla | Cover | Live | Sweta Srivastava
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Khamosh Lab Hain Jhuki Hain Palken | Singer – Pradeep Srivastava |Lyric ...
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SHAYARI - 15.06.2023
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कहने को जिंदगी थी बहुत मुख़तसर मगर , कुछ यूं बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गया !! - ख़ुमार बाराबंकवि माही होकर आब से नफ़रत ? आदमी हो कर शराब से नफ़रत ? ( माही - मछली ) Manish Gurnani and Sri Vivek Agarwal तूफ़ान के हालात है न किसी सफर में रहो ... पंछियों से है गुज़ारिश अपने शजर में रहो ... इलाज की नही हाजत , दिलो जिगर के लिए ! बस एक नज़र तेरी काफ़ी है उम्र भर के लिए !! ख्वाबों के पीछे जिन्दगी उलझा ली इतनी कि हकीकत में रहने का , सलीका ही भूल गए। यहाँ घर ज़मीं और हवा क़ैद है , बुतख़ाना मयखाना दवा क़ैद है , सोच समझ को भी लगे हैं ताले , मौला पूरी तेरी कायनात क़ैद है . ‘ सरजन ’ अपने आंसुओं के बहाव को वो अपनी हंसी से काटता है ! मन पर चोट गहरी थी पर वो छुपाने का सलीका जानता है .. For Prog. +91 9140886598 हमने इक हद तक सहा , चलते बने , दिल को पत्थर कर लिया , चलते बने दिन बुरे आए तेरे तो साथ थे वक़्त अच्छा जब हुआ , चलते बने - वैभव ' असद ' अकबराबादी For Prog. +91 91408