SHAYARI 09-6-2023
उठा के हाथ ये माँगी दुआ
मेहरबाँ रब से है
जो भी तेरी रज़ा उसी में
हम रहें राज़ी
- तेजबीर ‘तलब’
चोखटें लांघ जाते हैं
वो पैर “ख्वाबों" में अक्सर,
हकीकत में जिनकी
दुनिया दहलीज़ तक ही हैं।
मेरी नज़र से न हो दूर एक पल
के लिए !
तेरा वज़ूद है लाज़िम मेरी
ग़ज़ल के लिए...
~क़तील शिफ़ाई
देख कर मेरी निगाहों में
वफ़ा के मोती !*
यार के होंठों पे
इल्ज़ाम बदल जाते हैं !!
~मालविका हरिओम
थोड़ा सा
गुरूर भी ज़रूरी है जीने के लिये !
ज्यादा
झुके तो दुनिया पीठ को पायदान बना लेती है !!
कुछ लोग ये सोचकर भी मेरा हाल नहीं
पुँछते...
कि ये पागल दीवाना फिर कोई शायरी न सुना दे.
हुस्न के कसीदे तो गढ़ती रहेंगी महफिलें !
झुर्रियां भी प्यारी लगे तो, मान लेना इश्क है !!
जख्म-ऐ-दिल पर हाथ रख कर मुस्कुराना भी इश्क है,
याद रखना याद करना और याद आना भी इश्क है !
तुम्हें क्या बताये इश्क़ में मिलता है दर्द क्या !
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