SHAYARI - 15.06.2023

कहने को जिंदगी थी बहुत मुख़तसर मगर,

कुछ यूं बसर हुई कि ख़ुदा याद गया !!

- ख़ुमार बाराबंकवि

माही होकर आब से नफ़रत ?

आदमी हो कर शराब से नफ़रत ?

(माही - मछली )

Manish Gurnani and Sri Vivek Agarwal 

तूफ़ान के हालात है किसी सफर में रहो...

पंछियों से है गुज़ारिश अपने शजर में रहो...

इलाज की नही हाजत, दिलो जिगर के लिए !

बस एक नज़र तेरी काफ़ी है उम्र भर के लिए !!

ख्वाबों के पीछे जिन्दगी उलझा ली इतनी

कि हकीकत में रहने का, सलीका ही भूल गए।

यहाँ घर ज़मीं और हवा क़ैद है,

बुतख़ाना मयखाना दवा क़ैद है,

सोच समझ को भी लगे हैं ताले,

मौला पूरी तेरी कायनात क़ैद है.

सरजन

अपने आंसुओं के बहाव को वो अपनी हंसी से काटता है !

मन पर चोट गहरी थी पर वो छुपाने का सलीका जानता है..

For Prog. +91 9140886598

हमने इक हद तक सहा, चलते बने,

दिल को पत्थर कर लिया, चलते बने

दिन बुरे आए तेरे तो साथ थे

वक़्त अच्छा जब हुआ, चलते बने

- वैभव'असद' अकबराबादी

For Prog. +91 9140886598


कल एक हंसीं मांगने वाली अदब के साथ मुझसे मेरा क़रार-ओ-सुकूं मांगने लगी,

उससे निगाह मिलते ही महसूस ये हुआ कि घुँघरू पहन के जैसे ज़मी नाचने लगी,

For Prog. +91 9140886598


माना कि मिस्ले रूह मेरे साथ हो मगर,

मेरे दिलो दिमाग़ से मानूस भी तो हो !

कब तक रहेंगे यूँ मोहब्बत के फासले

अरे इतना क़रीब आओ कि महसूस भी तो हो !

For Prog. +91 9140886598


हज़ार दाग़ मिले दिल मगर गिला करे,

चराग़ ऐसा जलाओ की जो बुझा करे !

वो सो रहा है सुकूँ से कहीं फिर उठ जाये,

कहो ये दर्द से इस दिल में अब उठा करे !

For Prog. +91 9140886598


सुनने वाले रो दिए सुनकर मरीज़-ए-ग़म का हाल,

देखने वाले तरस खाकर दुआ देने लगे !

- साकिब लखनवी

For Prog. +91 9140886598

\

















 

Comments

Popular posts from this blog

SRI YOGI ADITYANATH- CHIEF MINISTER OF UTTAR PRADESH

आतिफ आउट सिद्धू पर बैंड

Ghazal Teri Tasveer Se Baat Ki Raat Bhar- Lyric- Safalt Saroj- Singer- P...