
सबको प्यार देने की आदत है हमें ! अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमें !! कितना भी गहरा जख़्म दे कोई ! उतना ही ज्यादा मुस्कुरानें की आदत है हमें !! रख सकों तो एक निशानी हूँ "मैं" ! खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ "मैं" !! रोक ना पाए जिसको ये सारी दुनिया ! वो एक बूंद "आँख का पानी" हूँ "मैं" !! एक उम्र से तलाश कर रहा हूं खुद को कि हो जाऊं लोगों के मुताबिक ! पर हर रोज ये जमाना मुझमे एक नया "ऐब" निकाल देता है !! जिस ख़्वाब में हो जाये , दीदार-ऐ-यार हांसिल ! ऐ इश्क़ कभी हमको भी , वो नींद सुला दे !! मैं कोई रिश्ता नहीं हूं , जो निभाओगे मुझे ! मैं मोहब्बत हूं , बस मोहब्बत से ही पाओगे मुझे !! ऐसा लगता है ज़िंदगी तुम हो, अजनबी जैसे अजनबी तुम हो ! मैं ज़मीं पर घना अन्धेरा हूँ, आसमानो की चांदनी तुम हो !! - बशीर बद्र