शुभ मुहूर्त

श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे; 

फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक.

और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया.

"सुनहु भरत भावी प्रबल,
बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।
हानि लाभ, जीवन मरण,
यश अपयश विधि हाथ।।"

अर्थात - जो विधि ने निर्धारित किया है, वही होकर रहेगा.

न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के,

न ही महादेव शिव जी सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्हीं का आवाहन करता है.

न रावण अपने जीवन को बदल पाया, न ही कंस, जबकि दोनों के पास समस्त शक्तियाँ थी.

मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन, मरण, यश, अपयश, लाभ, हानि, स्वास्थ्य, बीमारी, देह, रंग, परिवार, समाज, देश-स्थान सब पहले से ही निर्धारित करके आता है.

इसलिए सरल रहें, सहज, मन, वचन और कर्म से सद्कर्म में लीन रहें.

मुहूर्त न जन्म लेने का है, न मृत्यु का, फिर शेष अर्थहीन है.🙏


 

Comments

Popular posts from this blog

GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी

Ye Kahan Aa Gaye Hum_Lyric_Film Silsila_Singer Lata Ji & Amitabh ji

SUFI_ NAMAN KARU MAIN GURU CHARNAN KI_HAZRAT MANZUR ALAM SHAH