SHAYARI
जरा सी क़ैद में घुटन हो गई तुम्हें,
सुना था तुम पंछी पालने के बहुत शौक़ीन थे !
( डॉ.वी.एन.
त्रिपाठी जी के साथ )
इक मुद्दत से आरज़ू थी फुरसतकी...
मिली तो इस शर्त पे कि किसी से ना मिलो
( डॉ.
डी.एन.रायजादा जी, डॉ. यू.सी.सिन्हा जी के साथ )
शांत-शांत बैठे रहोगे तो कैसे बनेंगी कहानियाँ,
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले तभी तो बनेंगी शायरियाँ !
(
डॉ.यू.सी.सिन्हा, डॉ.डी.एन.रायजादा,मैं और डॉ.वी.एन.त्रिपाठी जी )
--
पीते थे जिस के साथ, वो साकी बङा हसीं था,
आदत लगा के जालिम ने,मैखाना बदल दिया !
( डॉ. अवध दुबे
जी के द्वारा स्मृति चिन्ह प्राप्त करते हुए )
--
तेरे दिल तक पहुंचे मेरे लिखे हर लफ़्ज़
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते हैं !
( सर्वश्री
दिलीप मिश्र, डॉ.वी.एन.त्रिपाठी,मैं, डॉ. डी.एन. रायजादा और डॉ. यू.सी.सिन्हा जी )
--
Comments
Post a Comment