SHAYARI

 

मुनासिब दोस्तों से लाख बेहतर है खुला दुश्मन !

ये गद्दारी नवाबों से हुकूमत छीन लेती है !!

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गर्मी बहुत थी दोस्तों खून में अपने !

पर घर की जिम्मेदारियों ने झुकना सिखा दिया !!

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लोग अक़्सर अपनी खूबियों का, दिखावा करते हैं,...

मैं ख़ुद की कमियों से, मशहूर होना पसंद करता हूँ...

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हर रोज़ गिरकर फिर से खड़े हैं,

ज़िंदगी देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं

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भावुक लोग संबंध को संभालते हैं,

प्रैक्टिकल संबंध का फायदा उठाते हैं !

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ज़माना कुछ भी कहे उसकी परवाह न कर !

जिसे ज़मीर न माने उसे सलाम न कर  !!

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मिल जाते हैं अपनों से नए दर्द मुझे रोज ।

अब गैर मेरे दिल को दुखाने नहीं आते ।।

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हमको हर दौर की गर्दिश ने सलामी दी है !

हम वो पत्थर हैं जो हर दौर में भारी निकले !!





























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