SHAYARI

है झूठी माया,यह जग सारा ,चलो चलें उस पार।
यह निर्मल काया,ब्रम्ह बनाया, ढूॅंढे‌ इसमे सार।।
बैठे हैं गिरधर , मोहन नटवर, चल वृंदावन धाम।
यमुना के तीरे , बजती धीरे,वहाॅं मनोहर श्याम।।
-सौदामिनी खरे 
*शुभरात्रि,*
*मंजिल मिलने पर सुनाएंगे सफर की दास्तान.!*
*क्या-क्या छीन गया हमसे यहां पहुंचते-पहुंचते.!!*



 

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