GHAZAL- SHAM SE ANKH ME NAMI SI HAI

*नमस्कार,*
*दिल लखनवी का एक खूबसूरत शेर आपको रविवार की*
*खुशनुमा शाम को और खुशगवार बना देगी, और उम्मीद*
*करता हूँ की ये शेर और जगजीत सिंह ये ग़ज़ल भी आपको ज़रूर पसंद आएगी !*     

*बेइरादा नज़र उनसे  टकरा गई  !*
*ज़िंदगी ये अचानक कहाँ आ गई !!*
*वो जो हँसते हुए बज़्म में आ गए !*
*मैं ये समझा क़यामत क़रीब आ गई !!*

*आपका,*
*प्रदीप श्रीवास्तव*
*(ग़ज़ल गायक)*


 

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