लेगा  ख़बरिया कौन हमारी, तुम बिन कौन सुनेगा !
हुज़ूर मेरा कोई नहीं, करना नज़र सरकार  !
हुज़ूर मेरा कोई नहीं !

जब ऐ सबा तू तैबा को जाना
मेरी तरफ से उनको सुनाना

तुम्हारी ख़ुदाई तुम्हारा ज़माना
तुम बस नज़र से न अपनी गिराना
करना नज़र सरकार  !
हुज़ूर मेरा कोई नहीं !

काली कमलिया काँधे तुम्हारे
दाता  हमारे बीरन हमारे
औरों मे क्या है हम क्या बिचारे
ये संसार तुम्हारे सहारे
करना नज़र सरकार  !
हुज़ूर मेरा कोई नहीं !

रंगे जुनूँ की आलम ही न्यारे
कश्तिये दिल है तुम्हारे हवाले
कैसा मुक़द्दर कैसे सहारे
काफ़ी हुई इतना बस तुम हमारे
करना नज़र सरकार  !
हुज़ूर मेरा कोई नहीं !

~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम " मौजशाही कलंदर" / हुज़ूर साहेब ( हमारे पीर)

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