GHAZAL - ASHAAR MERE YUN TO ZAMANE KE LIYE HAIN - JAA NISAAR AKHTAR
जानिसार अखतर पूरा नाम : जानिसार अहमद 14.02.1914 – 19.08.1976 अशआर मेरे यूं तो जमाने के लिए हैं ! कुछ शेर फ़क़त उनको सुनाने के लिए हैं !! आँखों मे जो भर लोगे तो कांटे से चुभेंगे ! ये ख़्वाब तो पलकों पे सजाने के लिए हैं !! अब ये भी नहीं ठीक की हर दर्द मिटा दें ! कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं !! सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन की ! वरना तो बदन आग बुझाने के लिए हैं ! ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें ! इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं !! अश आर – शेर , फ़क़त – केवल , तहज़ीब – सभ्यता इल्म का सौदा – ज्ञान का उन्माद