Ghazal - Kuch Ranj-o-Gham Ke Daur Se Fursat Agar Miley - PRADEEP SRIVASTAVA
ताज़ा ग़ज़ल ताज़ा धुन
ग़ज़ल
कुछ रंजो गम के दौर से फुर्सत अगर मिले ।
आना मेरे दयार में कुर्बत अगर मिले ।।
यूँ हैं तमाम अर्जियां मेरी खुदा के पास ।
गुज़रे सुकूँ से वक्त भी रहमत अगर मिले ।।
आई जुबाँ तलक जो ठहरती चली गयी ।
कह दूँ वो दिल की बात इजाज़त अगर मिले।।
ऐ जिंदगी मैं तुझसे अभी रूबरू नहीं ।
तुझको गले लगा लूँ मैं मोहलत अगर मिलें।।
हर आदमी बिकाऊँ है बाज़ार में यहाँ ।
बस शर्त एक है उसे कीमत अगर मिले ।।
कुर्बत - अति निकट का सम्बन्ध
---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
Comments
Post a Comment