GHAZAL - SAAF ZAHIR HAI NIGAHON SE KI HAM MARTE HAIN - AKHTAR ANSARI,ABDAYUN


अख्तर अंसारी
बदायूं

साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से, कि हम मरते हैं !
मुंह से कहते हुये ये बात, मगर डरते हैं !!

एक तस्वीरे मोहब्बत है जवानी गोया !
जिसमे रंगों के इवज़ खूने जिगर भरते हैं !!

इशरते रफ़्ता ने जाकर न किया याद हमे !
इशरते रफ़्ता को हम याद किया करते हैं !!

आस्माँ से कभी देखि न गई अपनी ख़ुशी !
अब ये हालत है कि हम हँसते हुये डरते हैं !!

शेर कहते हो बहुत ख़ूब तुम अख़्तर लेकिन !
अच्छे शायर ये सुना है, कि जवां मरते हैं !!

(इशरते रफ़्ता – अतीत के सुख भोग ने)

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