ग़ज़ल
Ghazal
💐💐🍃💐💐
हार अपनो को मेरी प्यारी है
इस लिये जंग मैने हारी है
उसके हिस्से में बे क़रारी है
मेरे हिस्से में इन्तज़ारी है
चाहे महफिल दो या कि तन्हाई
ज़िन्दगी मेरी यह तुम्हारी है
हर तरफ जश्न हो गया क़ायम
हमने दस्तार जब उतारी है
गोया तनहाई भी है महफिल सी
उनकी फुरक़त भी कितनी प्यारी है
जब सुना है कि आ रहे हैं वो
तब से साँसों में इन्तशारी है
आस्तीनो के साँप ही निकले
'चाँद' जिन जिन पे जाँ ये बारी है
- chand adil Barelliy
Comments
Post a Comment