अब भारत बदल रहा है
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जो लडाकू विमान ऊपर दिख रहा है वह सुखोई 30MKI है। और जो लडाकू विमान नीचे दिख रहा है वह एलसीए तेजस है।
यह खास इसलिये है क्योंकि हवा में ही सुखोई द्वारा तेजस में ईँधन भरा जा रहा है। ऐसा प्रर्दशन करने का श्रेय" भारत मे पहली बार तेजस जेट फाईटर को '2018" में प्राप्त हुआ था, अब सुखोई जेट फाइटर को भी प्राप्त हो गया।
विमानों में हवा में ही ईंधन भरने को एरियल रीफ्यूलिंग, एयर रीफ्यूलिंग, इन फ्लाइट रीफ्यूलिंग या एयर टू एयर रीफ्यूलिंग कहा जाता है।
इसमें दो विमानों की जरुरत' होती है।
एक तो वह जिसमें ईंधन भरा जाना है और दूसरा वह जिससे ईंधन भरा जाना है जिसे टैंकर प्लेन कहते हैं। इसके साथ एक प्रोब नाम की नली की जरूरत होती है जिससे ईंधन टैंकर से विमान तक जाता है।
इस प्रोब नली के साथ आखिरी में एक बाल्टी जुड़ी होती है जिसे ड्रोग कहते हैं। दोनों को मिला कर इसे 'प्रोब" एंड ड्रोग सिस्टम कहते हैं।
पहले प्रोब को ड्रोग के साथ टैंकर विमान" के "विंग पॉड" से छोड़ा जाता है जिससे यह लड़ाकू विमान" तक पहुंच सकते हैं और इसकी दूरी 25 मीटर से ज्यादा होती है।
जब सभी चीजों की स्थितियां सटीक" हो जाती हैं तो फ्यूल वाल्व खुल जाता है और तब ईंधन फाइटर प्लेन में पहुंचना शुरू हो जाता है। टैंक भर जाने की स्थिति में लड़ाकू विमान अपने गति धीमी करता है और ड्रोग से दूर हो जाता है। जिससे "फ्यूल वाल्व बंद हो जाता है और फिर दोनों विमानों का संपर्क भी खत्म हो जाता है। धन्यवाद। जय श्री राम।
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