Tarrnum Kanpuri_Jab Tavajjo Teri Nahi Hoti_Kavi Sammelan_Mushaira
MUSHAIRA:-
जब तवज्जो तेरी
नहीं होती,
ज़िंदगी ज़िंदगी
नहीं होती !
आसुओं के चराग़
रौशन हैं,
फिर भी क्यों
रौशनी नहीं होती !
- तर्रनुम कानपुरी
https://youtu.be/oNmWyRhz-wE
MUSHAIRA:-
जब तवज्जो तेरी
नहीं होती,
ज़िंदगी ज़िंदगी
नहीं होती !
आसुओं के चराग़
रौशन हैं,
फिर भी क्यों
रौशनी नहीं होती !
- तर्रनुम कानपुरी
https://youtu.be/oNmWyRhz-wE
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