SHAYARI
खरा है दर्द
का रिश्ता, तो फिर
जुदाई क्या,
जुदा तो
होते हैं वो, खोट जिनकी
चाह में है ।।
चुप हूँ तो
पत्थर न समझ मुझे,
दिल पे चोट
लगी है किसी अपने की बात से !
शाम दर शाम
जलेंगे तेरी यादो के चिराग ।
नस्ल दर
नस्ल तेरा दर्द नुमाया होगा ।l
गैरों के
लिए जिसे धड़कना नहीं आता !
पत्थर न सही
पर वो हृदय भी तो नहीं है !!
- एहतराम
इस्लाम
ईश्वर का
नाम लेना कहीं छोड़ दे न लोग !
मज़हब को इस
क़दर न सियासी बनाइये !!
हर क़दम पर
आपको भी लग रही हैं ठोकरें !
आपने भी चुन
लिया क्या रास्ता आदर्श का !!
~ कमलेश भट्ट
उजले तन में
काला मन है, मन में संशय है !
इस युग के
इंसानो का यह भी परिचय है !!
केवल नज़रों
से तय करना काफ़ी मुश्किल है !
असलीपन
कितना चेहरों में, कितना अभिनय
है !!
~ कमलेश भट्ट
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