LYRIC_ SARASWATI VANDNA_MAAT KRIPA ITNI KAR DENA_ANSAR QAMBARI

                                                       MAT KRIPA ITNI KAR DENA

 

मातु कृपा इतनी कर देना

अपनी वीणा के मीठे स्वर

अधरों पर धर देना

 

गीतों की रस धार तुम्हीं हो

ग़ज़लों का श्रृंगार तुम्हीं हो

दोहा हो या छंद रुबाई

कविता का आधार तुम्हीं हो

मेरी रचनाओं में मैया

जन-जन का स्वर देना

 

शब्द-शब्द संधान करूँ मैं

सच के लिए विषपान करूँ मैं

मेरा मान बढ़े कविता से

पर न कभी अभिमान करूँ मैं 

खर पंछी अम्बर छू लें

मुझको वो पर देना

 

गीत जहाँ संगीत जहाँ हो

काव्य-कला की रीत जहाँ हो

द्वेष-दम्भ से दूर रहें सब

मानवता हो प्रीत जहाँ हो

जिसमे तेरा वास हो मैया

मुझको वो घर देना -

डा. अंसार क़म्बरी

DHA RE MA_


 

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