Mushaira_Madhu Madhuman_Zindgi Roz Naya Khwab_ज़िन्दगी रोज़ नया ख्वाब _Jas...
जिंदगी रोज़ नया ख्वाब दिखाने से रही,
हर क़दम पर ये मेरा साथ निभाने से रही !
आइना दिल का हुआ दूर तेरे जारे जां,
बाद तेरे ना कोई चीज़ ठिकाने से रही !
बस जरा और ज़रा और जगा आँखों को,
बिन थकाए तो इन्हें नींद भी आने से रही
!
ज़िन्दगी मुझसे ख़फ़ा है तो ख़फ़ा रहे बेशक़,
अब तेरे और तो मैं नाज़ उठाने से रही !
पाँव तो ख़ुद ही बढ़ा जानिबे मधुमन,
अब ये ख़ुद चलके तेरे पास आने से रही !
- मधु मधुमन
Comments
Post a Comment