Mushaira_Dharmendra Solanki_Meri Dharti Mera Amber Ankhon Mein_Muktak_मु...
मुशायरा:
मेरी धरती मेरा अम्बर आँखों में,
बना लिया है मैंने भी घर आँखों में !
नफरत लालच और बुराई चली गई,
जब से बैठ गए हैं ढाई आखर आंखों में !
- धर्मेन्द्र
सोलंकी ( भोपाल )
मुशायरा:
मेरी धरती मेरा अम्बर आँखों में,
बना लिया है मैंने भी घर आँखों में !
नफरत लालच और बुराई चली गई,
जब से बैठ गए हैं ढाई आखर आंखों में !
- धर्मेन्द्र
सोलंकी ( भोपाल )
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