Na Ummiidi Ka Ye Aalm ना उम्मीदी का ये आलम - Iqbal Khalish , Agra -Musha...

ना उम्मीदी का ये आलम है तो क्या रह जाएगा !

वक़्त के होठों पे बस इक तज़किरा रह जाएगा !!
चेहरे मिटने के लिए हैं, चेहरे सब मिट जाएँगे !
आईना था आईना है आईना रह जाएगा !! 
~ इक़बाल ख़लिश 
https://youtu.be/vnLIoq1UaVg

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