Mushaira - Wo Hi Ghazal Hai - वही ग़ज़ल है - Mehtab Haidar
कभी ख्यालों के
नीमशब जो महक उठी है वही ग़ज़ल है !
नीमशब जो महक उठी है वही ग़ज़ल है !
कभी जो खिलवत में
दिल की सदा सुनी है वही ग़ज़ल है !!
दिल की सदा सुनी है वही ग़ज़ल है !!
हो ठंडी ठंडी सी
छाँव जैसे, वो झूला बाहों का नाव
जैसे !
छाँव जैसे, वो झूला बाहों का नाव
जैसे !
वो जो बच्चे को
अपने लोरी सुना रही है, वही ग़ज़ल है !!
अपने लोरी सुना रही है, वही ग़ज़ल है !!
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महताब हैदर
महताब हैदर
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https://youtu.be/OsWku1JKjK4
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