Mushaira - रुबाइयाँ - Rubaaiyan - Shayar MR Qasmi ( Delhi )



एक ख़्वाहिश थी कभी तेरे क़रीब आने की !
दिल ने कोशिश ही न की आँख को समझाने की !!
कोई चट्टान है सीने के समंदर में भी !
जिससे आती है सदा लहर के टकराने की !!
~ एम आर क़ासिमी
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