Afzal Danish - MARFAT KA USEY - मारफ़त का उसे रास्ता मिल गया
मारफ़त का उसे रास्ता मिल गया,
मौज शाही का जिसको पता मिल गया !
विर्द साहिब का करते रहो रात दिन,
ये वज़ीफ़ा बड़े काम का मिल गया !
(विर्द - माला जपना )
जब से साहेब ने अपना कहा है मुझे,
मुझसे मत पूछिए मुझको क्या मिल गया !
हिन्दू मुस्लिम ने मिलकर कहा है यही,
रौशनी के लिए एक दिया मिल गया !
हर कोई मुझको अपना समझने लगा,
तेरी चौखट से क्या मरतबा मिल गया !
रूह की सारी बीमारी जाती रही,
इनके लंगर का जब ज़ायका मिल गया !
अपने अन्दर की ख़ामी नज़र आ गयी,
माई के रूप में हक़नुमा मिल गया !
अब किसी रहनुमा की ज़रूरत नहीं,
हमको साहिब सा जब रहनुमा मिल गया !
- अफ़ज़ाल दानिश
https://youtu.be/RqVsZ3CencI
Comments
Post a Comment