एक कडवा - सत्य: “बच्चे बड़े हो गये बेटा”...

 

एक कडवा - सत्य: बच्चे बड़े हो गये बेटा”...

 

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एक युवक क़रीब 20 साल के बाद विदेश से अपने शहर लौटा था! बाज़ार में घुमते हुए सहसा उसकी नज़र सब्जी का ठेला लगाय हुए एक बूढे पर जा टिकी, बहुत कोशिश के बावजूद भी युवकउसको पहचान नही पा रहा था! युवक को न जाने बार बार ऐसा लग रहा था कि वो उसे बड़ी अच्छी तरह से जानता है! उत्सुकता उस बूढ़े से भी छुपी न रही। उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से समझ गया था कि उसने युवक को पहचान लिया था! काफी देर की कशमकश के बाद जब युवक ने उसे पहचाना तो उसके पाँव के नीचे से मानो ज़मीन खिसक गई! जब युवक विदेश गया था तो उनकी एक बड़ी आटा मिल हुआ करती थी। घर में नौकर चाकर काम किया करते थे। धर्म, कर्म, दान पुण्य सबसे धनी इस दानवीर पुरुष को युवक ताऊजी कह कर बुलाया करता था! वही आटा मिल का मालिक और आज सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर..?

 

युवक से रहा नही गया और वो उसके पास जा पंहुचा और बहुत मुश्किल से रूंधे गले से पूछा:ताऊजी, ये सब कैसे हो गया…?”

 

भरी ऑंख से बूढ़े ने युवक के कंधे पर हाथ रख दिया और बोला: बच्चे बड़े हो गये बेटा

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