संबंध भ्रम से टूटते हैं

-:: संबंध भ्रम से टुटते है ::-
पत्नी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया सहन, अब मैं एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।

पति भी क्रोध मे था, बोला "मे भी तुम्हारी शक्ल देख देखकर तंग आ चुका हुं, ऑफिस से घर आऊ तो तुम मुझे नज़र ना आना घर मे, उठाओ अपना सामान और निकलो यहा से,

पति क्रोध मे ही ऑफिस चला गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब ज़्यादा नही रह सकती इस नरक मे।

मां ने कहा - एक वास्तविक भारतीय नारी बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी हठ मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले अपने पति से, अब वो इतना बुरा भी नही है।

मां ने लाल झंडी दिखाई तो पत्नी के बुद्धि ठिकाने आ गयी और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो जी हल्का हो चुका था, 
पति के साथ लड़ाई का दृश्य सोचा तो अपनी भी बहुत भूल समझ मे आई।

मुहं हाथ धोकर फ्रेश हुई और अपने पति के पसंद के व्यंजन बनाने शुरू कर दिये, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से क्षमा मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आए तो पत्नी ने उनका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी प्रसन्न करने वाला आश्चर्य हुआ।
खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला मेरी प्रियतमा, कभी कभार मैं भी निष्ठुरता कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, मनुष्य हुं, क्रोध आ ही जाता है"।

पति मन ही मन पत्नी का धन्यबाद दे रहा था, और पत्नी मन ही मन मे अपनी मां को धन्यवाद दे रही थी, जिसके कड़े आदेश ने उसको अपना निर्णय बदलने पर बाध्य कर दिया था, अन्यथा उसका यह अहंकारी निर्णय उसके परिवार का सत्यानाश कर देता।

अगर माता-पिता अपनी विवाहित संतान की हर अनुचित बात का समर्थन करना बंद कर दे तो इस संसार मे ना जाने कितने संबंध टूटने से बच जाये।

सम्बन्ध और कॉंच एक जैसे ही होते है
मगर
संबंध भ्रम से टुटते है
काँच भूलवश टुटता है।

मात्र यही गौर करने वाली बात है

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