HUZUR SAHEB AMRIT WACHAN_2A_17.12.1998_ हुज़ूर साहेब के अमृतवचन

रूहानी ज़िंदगी उसी के काम की है जो लोगों से जुड़ता है | यानि उसमे जुड़ने की सिफ़त मौजूद है ! जो तोड़ता है, हर एक से अलगाव रखता है, ये पहचनवा देता है कि यह शख़्स रूहानी ज़िंदगी के लायक नहीं है और ऐसे शख्स को न ग़ैब मुख़ातिब हो के फ़ैज़ देता है और न पीर | और जिस शख़्स के अंदर यह सिफ़त देख लता है कि इसको न किसी से कोई शिकवा पैदा होता है न शिकायत पैदा होती है | या जो भी आये जिस तरह का भी शख़्स हो उससे जोड़ लेता है और खुश हो के हर काम अंजाम देता है वो रूहें रूहानी फ़ैज़ पाने के लायक होती हैं |

~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'

17/12/1998

https://youtu.be/Bd282figouc


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